कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?

कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में अपनी प्रेयसी के माध्यम से अभिव्यक्त किया है| उसकी प्रेयसी स्वप्न सुंदरी थी| वह सुन्दरता की जीवंत प्रतिमा थी| वह उसके स्वपन में आती है और फिर जब कवि उसके साथ आलिंगन की कोशिश करता है तो वह स्वप्न से गायब हो जाती है| कवि का अपनी प्रेयसी के साथ उन सुखद क्षणों की कामना अंततः अधूरी ही रह गयी| इस प्रसंग को कवि ने आत्मकथ्य कविता में निम्न प्रसंग के माध्यम से अभिव्यक्त किया है-

जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।


अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।’


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